Contents
The best yoga poses योग के तीन सबसे बढ़िया आसन
योग क्या है ?
भारतीय योग दर्शन परम की प्राप्ति के लिए ध्यान और अभ्यास की बात करता है
इंसान और दुनिया से जुड़ा सच जो की वेदांत के अनुसार , योग को ‘मिलन’ के रूप में समझा जाता है।
दुसरे शब्दों में कहें तो यह आत्मा का परमात्मा से आध्यात्मिक मिलन माना जाता है ।
पतंजलि, जो योग प्रणाली के संस्थापक हैं, कहते हैं- योग परम ज्ञान व् परम अनुभूति प्राप्त करने का एक सरल व् निश्चित आध्यात्मिक प्रयास हैl
The best yoga poses योग के तीन सबसे बढ़िया आसन
इसी कड़ी में आज हम यहाँ पर तीन ऐसे शीर्ष योगासनों के बारे में चर्चा करेंगे जिनके करने से हमारी वर्तमान भागदौड वाली बहुत ही व्यस्त जिन्दगी की हम इन आसनों को कर अच्छी tuning कर सकते हैं व् हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा l
इसमें सबसे प्रथम योगासान है सुखासन
सदियों से ध्यान के लिए पसंदीदा आसन के रूप में सुखासन (आसान मुद्रा) का अभ्यास करते आ रहे हैं। कई योगिक परंपराओं में, आसान मुद्रा का मुख्य उद्देश्य ध्यान की स्थिति में आना है। संस्कृत में “सुख” का अर्थ खुश या हर्षित होना होता हैl
जब आप बच्चे थे तो बड़ी आसानी से अपनी टांगो को आसानी से मोड़ सकते थे , लेकिन एक वयस्क के रूप में, क्रॉस लेग करके बैठना मुश्किल हो सकता है। हमारे जोड़ अब आवश्यक घुमाव और लचीलेपन के आदी नहीं हैं। क्योंकि इसके लिए हमारी दैनिक कार्यशैली रेस्पोंसिबल हैl
मिलता है l
हस्त मुद्रा: केवल 7 हस्त मुद्राओं से करें शरीर के सभी रोग दूर
सुखासन मुद्रा के लाभ
सुखासन मुद्रा हमारे लिए बहुत ही लाभदायक हैं यह मुद्रा कूल्हों और टखनों को मजबूत करने और पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती है।
इस आसन को करने से आपके चेहरे और कंधों की सूक्ष्म मांसपेशियों को लचीला बनाने में सहयोग मिलता है l
यह मुद्रा शांत और आरामदायक स्थिति में ही की जा सकती है इसके अर्थ से ही हम जान सकतें हैं कि इसका अर्थ है सुख में किया जाने वाला आसन —यदि आप इसमें आराम से बैठने में सक्षम हैं। यह मुद्रा मानसिक व् शारीरिक जागरूकता में सुधार करता है,
ध्यान या अध्यात्म के लिए आधार बनाता है l
इस मुद्रा से हमारी यादाश्त शक्ति बढती है l
तनाव को समाप्त करने में सहायता करता है।
यह मुद्रा पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करती है और तनाव प्रतिक्रिया को निष्क्रिय कर देती है।
सुखासन मुद्रा रक्तचाप को कम करने या नियंत्रित करने में भी मदद कर है।
इसे प्रतिदिन करने से मुख्य मांसपेशियाँ (आपके पेट और आपकी रीढ़ को सहारा देने वाली मांसपेशियाँ सहित) मजबूत होती हैं, और आपकी कमर और भीतरी जांघों में खिंचाव होता है।
सुखासन मुद्रा को कैसे करें स्टेप by स्टेप
साधारण तरीके से पालथी मारकर क्रॉस लेग पोजीशन में अपनी चटाई पर बैठें।
अपने घुटनों को मोड़ें और अपनी पिंडलियों को क्रॉस करें।
प्रत्येक पैर को घुटने के नीचे खिसकाएँ जैसे कि हम सामान्य रूप से फर्श पर बैठते हैं l
अपने पैरों को रिलैक्स करें ताकि उनके बाहरी भाग फर्श पर आराम से टिके रहें ।
आपके पैरों और टखनो के बीच एक आरामदायक अंतर होना चाहिए।
अपने टखनो को आगे या पीछे झुकाए बिना, सम स्थिति में रखें।
पीठ और रीड की हड्डी बिल्कुल सीधी पोजीशन में होनी चाहिए l
अपनी पीठ के निचले हिस्से को ज़्यादा न खींचे या मोड़ें अपनी निचली सामने वाली पसलियों को आगे की ओर न झुकाएँ बल्कि सीधी अवस्था में बने रहें ।
अपने हाथों को अपनी गोद में रखें – एक दूसरे के अंदर, हथेलियाँ ऊपर – या उन्हें अपने घुटनों पर रखें, हथेलियाँ नीचे जैसे की में ज्ञान मुद्रा में हाथों की स्थिति होती है ।
आप इस स्थिति में किसी भी समय तक बैठ सकते हैं, लेकिन पैरों को बारी-बारी से क्रॉस करना सुनिश्चित करें, ताकि बाएं पैर और दाहिने पैर को शीर्ष पर समान समय मिले।
इस आसन को करने पर हमारा शरीर बहुत ही रिलैक्स फील करता है l
वैसे तो यह आसन कभी भी किया जा सकता ही परन्तु खाना खाने के लगभग 45 बाद आप इसे कर सकते हैं , इसको करने का सही समय सुबह का होता है क्योंकि इसको करने से हमारा शरीर दिन भर के लिए सुपर चार्ज हो जाता है और हम दैनिक कार्यों को अच्छी तरह से तनाव मुक्त हो कर , कर सकते हैं l
चलिए अब हम सीखते हैं इस कड़ी का दूसरा महत्वपूर्ण योग आसन
मार्जरी आसन बिटिलासन (काउ पोज़)
यह मुद्रा एक बैकबेंड की तरह है जो कि आमतौर पर आपके शरीर को गर्म करने के लिए – विशेष रूप से आपकी रीढ़ को यह आसन गर्म व् लचीला बनाता है जिससे आप अन्य आसन को करने में भी मदद मिलती है l
मार्जरीआसन (कैट पोज़) में आपके शरीर के ऊपरी हिस्से, विशेषकर आपकी पीठ, कंधों और गर्दन में तनाव को दूर करने में मदद करती है और गतिशीलता बढ़ाने के लिए रीढ़ की हड्डी की धीरे से मालिश होती है।
यह सरल मुद्रा ठुड्डी से लेकर जघन की हड्डी तक, शरीर के अगले हिस्से को मजबूत खिंचाव पैदा करती है जिससे आप के शरीर के इन हिस्सों में ब्लड फ्लो बढ़ने से शरीर के ये हिस्से मजबूत व् लचीले बनते है।
वास्तव में यह मुद्रा बिल्ली मुद्रा व् गाय मुद्रा है इसको करते समय आपको सांस लेती बार बिल्ली जैसा पोस्चर बनाना है अर्थात सांस अंदर खींचते हुए अपनी पीठ को बिल्ली की तरह उपर की और खींचना है और सांस छोड़ते हुए वापस रिलैक्स होकर गाय मुद्रा में आना है l
इस मुद्रा को बिल्ली मुद्रा के साथ जोड़ते समय, अपनी सांस का अनुसरण करें: साँस छोड़ते समय बिल्ली में जाएँ, और साँस लेते समय गाय में जाएँ।
मार्जरीआसन कैसे करें
टेबलटॉप में अपने कूल्हों को सीधे अपने घुटनों के ऊपर और अपने हाथों को अपने कंधों से थोड़ा आगे, कंधे की दूरी पर रखकर शुरुआत करें। सामान्य भाषा में अगर कहें तो आप गाय या बिल्ली की तरह योग मेट पर अपने आपको व्यवस्थित करे या जैसे बिल्ली खड़ी होती है वैसे आप भी हो जाएँ l
अब साँस लें और अपने पेट को नीचे करके, अपनी ठोड़ी और सिर को ऊपर उठाकर और अपनी कॉलरबोन को चौड़ा करके अपनी पीठ को झुकाएँ जैसा की दिए गए चित्र में दर्शाया गया है l
इस आसन मार्जरीआसन-बिटिलासन (कैट-काउ पोज़) के कुछ राउंड करने से आप लंबे समय तक बैठे रहने के बाद भी आपकी रीढ़ की रिलैक्स रहती है व् आप काम के दौरान किसी भी प्रकार का दर्द व् खिंचाव मेसूस नहीं करेंगे । इस आसन को प्रतिदिन धीरे-धीरे से शुरू करें और अपने अभ्यास को बढ़ाते चले जाएँ आप पाएंगे कि कुछ दिनों बाद आपकी रीढ़ दोनों दिशाओं में झुकने में फ्लेक्सिबल हो जाती है l
आप कैट-काउ को खड़े होकर भी कर सकते हैं, अपने पैरों-कूल्हों को चौड़ा करके और अपने घुटनों को थोड़ा मोड़कर, या बैठकर। किसी भी स्थिति में, जब आप साँस खींचते हैं (बिल्ली), तो अपने हाथों को अपनी जाँघों पर रखें और अपनी रीढ़ को गोल करें, और साँस छोड़ते हुए (गाय) पोस्चर में अपने को ऊपर उठाएँ।
कब यह आसन न करें
यदि आपको डायस्टेसिस रेक्टी है, तो इस मुद्रा को न करें इसके अलावा आप स्पेशलिस्ट योग प्रशिक्षक से कंसर्न करें । डायस्टेसिस रेक्टी गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद बहुत आम है क्योंकि बढ़ते गर्भाशय के कारण मांसपेशियां खिंचती हैं।
गर्भवती महिलाओं के शरीर में पहले से ही महत्वपूर्ण रीढ़ की हड्डी का विस्तारण हो रहा होता है, इसलिए जानबूझकर गहरे बैकबेंड में प्रवेश करने से लिनिया अल्बा में अलगाव होने का खतरा होता है, जो एक रेशेदार संरचना है जो पेट की मध्य रेखा के नीचे लंबवत होती है।
प्रो टिप्स
इस मुद्रा का अभ्यास अपने कूल्हों से शुरू करें, अपनी गर्दन से नहीं।
चोट से बचने के लिए अपनी रीढ़ को ढीला रखें और आरामदायक सांस लेते हुए इस मुद्रा का अभ्यास करें l
यदि आपकी कलाइयां संवेदनशील हैं, तो मार्जरीआसन का अभ्यास करने से पहले उन्हें वार्मअप करने के लिए कुछ कदम उठाएं: अपनी कलाइयों को दोनों दिशाओं में घुमाएं, फिर कुछ बार मुट्ठियां बनाएं और छोड़ें जैसे की सिंघम मूवी में अजय देवगन करता था ।
चलिए अब हम सीखते हैं इस कड़ी का तीसरा महत्वपूर्ण योग आसन
वृक्षासन (वृक्ष मुद्रा)
यह आसन आपको एक शक्तिशाली पेड़ की शाखाओं की तरह आपके शरीर को ऊंचाई तक पहुंचने के साथ-साथ नीचे जुड़ना और आपके व्यक्तित्व के भाव को महसूस करना सिखाता है।
इस मुद्रा में, आपको अपने व्यक्तित्व के किस प्रकार से खड़े होने यानि निर्माण होने और जब आप अपने पैरों पर खड़े होतें हैं तो आपके पैर की ताकत के माध्यम से ज़मीनीपन का एहसास होता है। इस मुद्रा में जो चुनौती वाला कार्य है वह है अपने विपरीत पैर के तलवे को अपनी पिंडली या जांघ पर लाना आपके जो कि आपके शरीर को संतुलन बनाए रखने को चुनौती देता है।
लगातार अपनी टखनों, टांगों और कोर को संलग्न रखें और ध्यान दें कि आपका शरीर आपको संतुलित बनाने के लिए शुरुआत में आपको काफी मशकत्त करनी पड़ेगी ।
आपके पैरों, ग्लूट्स, कोर और पीठ को मजबूत करके, ट्री पोज़ आपके आसन और शरीर के संतुलन में सुधार करता है, जो विशेष रूप से सहायक होता है यदि आप पूरे दिन बैठते हैं।
जो बात इस मुद्रा को खास बनाती है वह यह है कि यह आसन आदमी को अपने शरीर के साथ उसकी समझ को बढ़ावा देता है आप अपने शरीर को ज्यादा अच्छी तरह से समझने लगता हैं आप समझ जायेंगे कि शरीर किस प्रकार से संतुलित किया जा सकता है , बस ये सब एक ही दिन का कमाल नही बल्कि आपकी प्रतिदिन की मेहनत होगी जिससे आप इस मुद्रा को आसानी से कर पाएंगे l
वृक्षासन के लाभ
वृक्षासन एक मजबूत आसन है जो आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह मुद्रा आपके आसन में सुधार कर सकती है और लंबे समय तक बैठने के दुष्प्रभाव से निजात दिलाता है है।
आपके खड़े पैर पर, यह मुद्रा आपकी जांघ, नितंब (ग्लूट) और टखने को मजबूत करती है।
इस आसन को करने से हमारा मानसिक संतुलन बहुत ही उच्च स्तर का हो जाता है हमारी यादाश्त को बहुत तेजी से बढाता है l
वृक्षासन कैसे करें
ताड़ासन में खड़े हो जाएं। अपने पैर की उंगलियों को फैलाएं, अपने पैरों को चटाई संतुलित करें और अपने पैर की मांसपेशियों को संतुलित करने की कोशिश करें l
अपने पेट के निचले हिस्से को धीरे से ऊपर उठाने के लिए अपने सामने के कूल्हे को अपनी निचली पसलियों की ओर उठाएं।
अपनी छाती को ऊपर उठाते हुए गहरी सांस लें और अपने कंधे के ब्लेड को अपनी पीठ के नीचे खींचते हुए सांस छोड़ें।
अपने हाथों को अपने कूल्हों पर रखें और अपने दाहिने पैर को अपनी बाईं जांघ या पिंडली पर ऊपर उठाएं।
घुटने से पैर न लगाएं बल्कि घुटने से उपर जांघ पर विपरीत पैर को टिकने की कोशिश करें ये सब आराम की स्थिति में ही करें जबरदस्ती न करें नियमित अभ्यास से ही इस मुद्रा को कर पाएंगे l
जब आप स्थिर महसूस करें, तो अपने हाथों को हृदय के पास अंजलि मुद्रा में रखें या अपनी बाहों को सूर्य की ओर पहुंचने वाली शाखाओं की तरह ऊपर की ओर फैलाएं।
कुछ देर सांस को अंदर की ओर रोके , फिर वापस माउंटेन पोज़ में आ जाएं और दूसरी तरफ भी दोहराएं।
क्या न करे इस आसन को करते हुए
अपने पैर को कभी भी विपरीत घुटने पर न रखें। बल्कि, खड़े पैर के घुटने की सुरक्षा के लिए पैर को घुटने के ऊपर या नीचे रखें।
यदि आपके कंधे में दर्द, सुन्नता, झुनझुनी या हाथ उठाने पर तेज दर्द होता है, तो अपना हाथ अपने कूल्हों पर रखने का प्रयास करें।
वृक्षासन में संतुलन बनाते हुए अपनी आँखें बंद करके स्वयं को चुनौती दें। आप हथेलियों को ऊपर की ओर छूकर भी अपने संतुलन को चुनौती दे सकते हैं।
प्रो टिप्स
घुटने को छोड़कर पैर को खड़े पैर के अंदर कहीं भी रखें। घुटने पर दबाव डालने से जोड़ और आपकी मुद्रा अस्थिर हो सकती है।
अपने आप को स्थिति में स्थिर करने के लिए बेझिझक दीवार या कुर्सी का उपयोग करें। यहां तक कि दीवार पर हल्के से हाथ छूने या दीवार के पास खड़े होने से भी संतुलन बिगड़ने की स्थिति में आपको आत्मविश्वास मिलता है।
योग को करने का सामान्य नियम
योग को करने के बाद 30 से 45 मिनट तक न नहाएं, न पानी पिएं और न ही खाना खाएं। किसी भी बीमारी, सर्जरी या किसी मोच या फ्रैक्चर के दौरान किसी भी प्रकार का योगा अभ्यास से बचना चाहिए। सभी प्रकार के योगासन व् मुद्राएँ विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही कर सकते हैं। और हमेशा योग के बाद कठिन व्यायाम न करें।
इसके आलवा हमें दिन प्रतिदिन की बिजी लाइफ में healthy डाइट लेना बहुत जरुरी है जानने के लिए पढ़े
3 comments
[…] सूर्य नमस्कार योग का एक ऐसा अभ्यास है, जिसे अक्सर योग क्लास की शुरुआत में किया जा सकता है। यह पुराने संस्कृत भाषा में सूर्य को नमस्ते करने जैसा है। “सूर्य” का अर्थ है सूर्य और “नमस्कार” का अर्थ है अभिवादन। […]
[…] बने मन और तन” एक हिंदी कहावत है जो स्वस्थ आहार और जीवनशैली के महत्व को बताती है। इसका अर्थ है कि […]
[…] सूर्य नमस्कार योग का एक ऐसा अभ्यास है, जिसे अक्सर योग क्लास की शुरुआत में किया जा सकता है। यह पुराने संस्कृत भाषा में सूर्य को नमस्ते करने जैसा है। “सूर्य” का अर्थ है सूर्य और “नमस्कार” का अर्थ है अभिवादन। […]